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क्या चुनावी प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी? मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर ECI से मांगी सफाई। जानें पूरी खबर, और जानें क्या हैं उन गड़बड़ियों के बारे में।

आप भी सोच रहे होंगे कि क्या वास्तव में चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ियां हो सकती हैं? अगर आपको भी लगता है कि चुनावों में कुछ तो गड़बड़ है, तो आपको यह पढ़ने की ज़रूरत है। मुंबई हाई कोर्ट ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कुछ ऐसे सवाल उठाए हैं, जो आपके मन में भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं, इस पूरी कानूनी लड़ाई के बारे में।

Bombay High Court ने Election Commission of India क्यों जारी किया Notice? 🏛️

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Credit: ecommitteesci.gov.in

मुंबई हाई कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग (ECI) और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एक याचिका के बाद दिया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ियां हुई थीं। खासकर 6 बजे के बाद मतदान के मामले में कुछ अजीब सवाल उठाए गए हैं। 😱

क्या है याचिका में? 🤔

यह याचिका चेतन चंद्रकांत आहिरे नामक एक नागरिक ने दायर की थी, जिसमें कहा गया है कि 20 नवम्बर 2024 को हुए चुनाव में 6 बजे के बाद करीब 75 लाख वोट डाले गए थे। यही नहीं, याचिका में यह भी कहा गया कि 90 से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों की गिनती और पोलिंग में गड़बड़ियां पाई गईं। यहां तक कि, वोटों की संख्या और वोट पोलिंग में मेल नहीं खा रही थी। इस आरोप के बाद यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा, जिसने तुरंत ही ECI और CEO से जवाब मांगा है। 📊

क्या था मुख्य आरोप? 🔴

चेतन आहिरे का कहना था कि मतदान प्रक्रिया में बड़ी लापरवाही बरती गई। याचिका में चुनाव आयोग से यह भी आग्रह किया गया कि वह यह बताए कि 6 बजे के बाद प्रत्येक पोलिंग स्टेशन पर कितने टोकन वितरित किए गए थे और कुल मिलाकर कितने टोकन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में बांटे गए। इसके अलावा, आहिरे ने यह भी मांग की थी कि चुनाव परिणामों को रद्द किया जाए, क्योंकि वोटिंग प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं हुआ था। 🚨

Bombay HC ने क्या कदम उठाए? ⚖️

मुंबई हाई कोर्ट के जस्टिस अजय एस गडकरी और जस्टिस कमल आर. खाता की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग और राज्य चुनाव अधिकारी को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इनसे अगले दो हफ्तों में जवाब मांगा है। इसके साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से की गई उन मांगों को गंभीरता से लिया, जिनमें वोटों की गिनती में असमानता और वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल उठाए गए थे। 🕵️‍♂️

क्या है पूरी प्रक्रिया में कमी? 🔍

वकील प्रकाश अंबेडकर जो याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए, उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की हैंडबुक में जो दिशा-निर्देश दिए गए हैं, रिटर्निंग ऑफिसर्स (ROs) ने उनका पालन नहीं किया। इसके चलते वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और नियमों का उल्लंघन हुआ। उन्होंने यह भी दावा किया कि 75 लाख से अधिक वोट ऐसे थे, जिनकी प्रामाणिकता को लेकर कोई सिस्टम नहीं था। ⚡

आखिर क्यों है यह मामला इतना अहम? 📍

इस मामले का महत्व इसलिए बढ़ गया है, क्योंकि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में चुनाव देश की राजनीति को प्रभावित करने वाले होते हैं। अगर इस चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई जाती है, तो यह लोकतंत्र की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। खासकर तब जब चुनाव आयोग और राज्य चुनाव अधिकारी ने टोकन वितरण और मतदान के बाद से जुड़ी प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं दिखाई। ऐसे में जनता के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या वाकई में लोकतंत्र की गरिमा बनी हुई है या नहीं। 🇮🇳

क्या होगा आगे? 🔮

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Credit: stockcake.com

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि Bombay High Court द्वारा जारी की गई नोटिस का क्या परिणाम निकलता है। क्या चुनाव आयोग और राज्य चुनाव अधिकारी इस मामले में साफ-साफ जवाब देंगे या फिर कोई नया मोड़ आएगा? 2 हफ्ते बाद इस मामले में फिर से सुनवाई होगी, तब तक हम इंतजार करेंगे। ⏳

तो दोस्तों, क्या आप भी चाहते हैं कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी बनी रहे?

अगर हां, तो इस न्यूज को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें बताएं कि आपका इस पूरे मामले पर क्या ख्याल है। क्या आपको लगता है कि चुनाव आयोग को इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए?

Conclusion:

आपका क्या ख्याल है इस पूरे मामले पर? क्या आपको लगता है कि इस सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पारदर्शिता आएगी या फिर यह सिर्फ एक और राजनीतिक शोर साबित होगा? हमें कॉमेंट में जरूर बताएं और इस ब्लॉग को शेयर करें ताकि और लोग इस खबर के बारे में जान सकें। 🌟

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Disclaimer:

यह लेख पूरी तरह से सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दिए गए तथ्य और विचार लेखक के व्यक्तिगत दृष्टिकोण पर आधारित हैं। हम इस लेख में उठाए गए मुद्दों की गंभीरता को समझते हैं और पूरी तरह से पारदर्शिता और निष्पक्षता की दिशा में कार्य करने का समर्थन करते हैं। हालांकि, यह किसी भी प्रकार की कानूनी या राजनीतिक सलाह नहीं है। चुनाव प्रक्रिया और संबंधित मामलों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया अधिकारिक स्रोतों का संदर्भ लें। यह लेख केवल एक चर्चा और विचार विमर्श का हिस्सा है, और किसी भी निर्णय लेने से पहले प्रमाणित जानकारी पर विचार करना अत्यंत आवश्यक है।

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