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IAS Abhishek Prakash और 16 अन्य अफसरों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई 🚨

Credit: newstrack

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए हुई जमीन अधिग्रहण घोटाले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। राज्य सरकार ने इस मामले में 16 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी करार दिया है, जिनमें IAS अभिषेक प्रकाश भी शामिल हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर राजस्व परिषद की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है, जिससे इस घोटाले में दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।

घोटाले की पूरी कहानी: फर्जी पट्टा पत्रावली और अवैध मुआवजा 📜

लखनऊ के भटगांव में वर्ष 2021 में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा था, जिसमें भारी घोटाला हुआ। 1985 के फर्जी पट्टा पत्रावली के आधार पर मुआवजा दावे स्वीकार किए गए। इसमें कथित आवंटियों और उनके वारिसों, साथ ही उनसे जमीन खरीदने वाले व्यक्तियों को अनियमित तरीके से मुआवजा दिया गया।

सरकारी जमीन जो आरक्षित श्रेणी में आती थी, उसे भी गलत तरीके से घपलेबाजों के नाम कर दिया गया। इतना ही नहीं, अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की भूमि की अवैध बिक्री की अनुमति भी दी गई। इन सभी अनियमितताओं के कारण सरकारी धन की भारी हानि हुई।

मुख्य दोषी: IAS Abhishek Prakash समेत 16 अफसर 👮‍♂️

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इस घोटाले की जांच राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे और कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त अमित गुप्ता की कमेटी द्वारा की गई थी। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया कि क्रय समिति के अध्यक्ष और लखनऊ के जिलाधिकारी (IAS Abhishek Prakash) तथा सरोजनीनगर के तहसीलदार ने अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन नहीं किया, जिसके कारण अनियमित भुगतान हुआ और सरकारी धन की हानि हुई।

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दोषी अफसरों की सूची:

  • IAS अभिषेक प्रकाश (तत्कालीन जिलाधिकारी)

  • अमर पाल सिंह (तत्कालीन अपर जिलाधिकारी, प्रशासन)

  • संतोष कुमार (एसडीएम)

  • शंभु शरण, आनंद कुमार, देवेंद्र कुमार (एसडीएम)

  • ज्ञानेंद्र सिंह, विजय कुमार सिंह (तहसीलदार)

  • उमेश कुमार, मनीष त्रिपाठी (तहसीलदार)

  • कविता ठाकुर (नायब तहसीलदार)

  • राधेश्याम, जितेंद्र कुमार सिंह, नैन्सी शुक्ला (राजस्व निरीक्षक)

  • हरिश्चंद्र, ज्ञान प्रकाश अवस्थी (लेखपाल)

इन सभी अधिकारियों पर जांच के बाद दोषी होने का आरोप लगाया गया है। साथ ही, लखनऊ के राजस्व विभाग ने इस मामले को संबंधित नियुक्ति प्राधिकरण और अन्य उच्च अधिकारियों को भेज दिया है। आगे की कार्रवाई इन अधिकारियों के निलंबन और दंडात्मक कार्रवाई के रूप में की जा सकती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका:

सीएम योगी ने राजस्व परिषद की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है, जिससे घोटाले के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की राह साफ हो गई है। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि दोषी अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि किसी भी तरह की अनियमितता और भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिल सके।

सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता 🔍

इस घोटाले ने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की गंभीर आवश्यकता को उजागर किया है। सरकार के अधिकारियों को यह समझने की जरूरत है कि अगर भ्रष्टाचार और घोटाले रोकने हैं, तो सिस्टम में सुधार और कड़ी निगरानी आवश्यक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम एक सख्त संदेश है कि यूपी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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Conclusion: क्या इस घोटाले से यूपी में प्रशासनिक सुधार होगा?

इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिससे अन्य अधिकारियों को भी यह संदेश मिलेगा कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कदम यूपी सरकार द्वारा प्रशासनिक सुधारों की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम साबित हो सकता है। आने वाले समय में इस घोटाले से यूपी में प्रशासनिक कार्यों में और पारदर्शिता की उम्मीद की जा सकती है।

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डिस्क्लेमर:

इस लेख में उल्लिखित जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और रिपोर्टों पर आधारित है। हम इस लेख में दी गई जानकारी की पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते। सभी तथ्यों और आंकड़ों की पुष्टि संबंधित अधिकारियों और सरकारी रिपोर्टों से की जानी चाहिए। किसी भी कानूनी सलाह या व्यक्तिगत निर्णय के लिए विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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