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Toggleमार्क जुकरबर्ग : पाकिस्तान का दुश्मन कैसे बने? फेसबुक के बॉस ने सुनाई अपनी आपबीती!
Meta CEO Mark Zuckerberg का पाकिस्तान में क्या था अनुभव? 🧐
Meta के CEO, Mark Zuckerberg ने हाल ही में अपने अनुभवों को शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा था जब उन्हें पाकिस्तान में blasphemy (ईशनिंदा) के लिए death sentence (मौत की सजा) का सामना करना पड़ा था! 😱 यह खुलासा उन्होंने Joe Rogan के podcast पर किया था। उनका कहना है कि यह सब एक फेसबुक पोस्ट की वजह से हुआ था, जिसमें Prophet Muhammad (PBUH) की तस्वीर को लेकर पाकिस्तान में बड़ा विवाद पैदा हो गया था। पाकिस्तान के blasphemy laws के तहत इस तरह के कंटेंट को illegal (गैरकानूनी) माना गया था।
पाकिस्तान के कानूनों ने जुकरबर्ग को कैसे परेशान किया? ⚖️

जुकरबर्ग ने बताया कि जब उनकी कंपनी पर Pakistan ke religious sentiments (पाकिस्तान के धार्मिक भावनाओं) को चोट पहुंचाने का आरोप लगा था, तो उन्हें पाकिस्तान में death penalty (मौत की सजा) का खतरा था। Blasphemy का मामला चल रहा था, जिसमें Facebook पर कुछ लोगों ने Prophet Muhammad (PBUH) की तस्वीर पोस्ट की थी। यह तस्वीर पाकिस्तान की cultural norms (सांस्कृतिक मान्यताओं) के खिलाफ थी, और लोगों ने इस पर severe action (कड़ी कार्रवाई) करने की मांग की थी। मार्क ने यह भी बताया कि इस मामले की वजह से उन्होंने कभी पाकिस्तान जाने का विचार नहीं किया, लेकिन यह एक गंभीर स्थिति थी, जो उन्हें सीधे तौर पर प्रभावित कर रही थी।
जुकरबर्ग का मानना है: Free Speech और Local Rules के बीच का Balance! ⚖️💬
Meta के CEO ने अपने इंटरव्यू में यह भी कहा कि freedom of expression (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और local rules (स्थानीय नियमों) के बीच संतुलन बनाना एक बहुत कठिन चुनौती है। Meta हर देश में अपने यूजर्स को freedom of speech देने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हर देश के अपने laws (कानून) और cultural values (सांस्कृतिक मान्यताएँ) होती हैं। उन्होंने कहा:
- “दुनिया के अलग-अलग देशों में ऐसे कानून हैं जिनसे हम सहमत नहीं हैं। जैसे एक समय ऐसा आया था जब पाकिस्तान में कोई मुझे मौत की सजा दिलवाने की कोशिश कर रहा था, सिर्फ इसलिए कि किसी ने Prophet Muhammad (PBUH) की तस्वीर पोस्ट की थी।”
Tech Companies पर बढ़ता कंटेंट रेगुलेशन का दबाव 🚨
जुकरबर्ग ने यह भी बताया कि tech companies (टेक कंपनियों) पर strict content regulation (कड़े कंटेंट नियम) का दबाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा:
- “ऐसी जगहें हैं जहां हमारी freedom of expression के मूल्यों के विपरीत मान्यताएँ हैं। वे चाहते हैं कि हम अपने कंटेंट पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाएं, और कभी-कभी यह बहुत अधिक होता है। अगर सरकारों को यह अधिकार मिलता है कि वे आपको जेल में डालने की धमकी दे सकती हैं, तो यह एक बहुत बड़ा मसला बन जाता है।”
उन्होंने इस मुद्दे को लेकर U.S. government (अमेरिकी सरकार) से भी अपील की कि foreign tech companies (विदेशी टेक कंपनियों) को बचाने में मदद की जाए।
पाकिस्तान के लोगों की प्रतिक्रियाएँ - सोशल मीडिया पर हुई चर्चा! 😳

जब जुकरबर्ग ने अपनी बातें शेयर की, तो सोशल मीडिया पर comments aur reactions का तांता लग गया। Users ने पाकिस्तान के कानूनों का मजाक उड़ाया और लिखा:
- “वाह, और लोग शिकायत करते हैं कि पाकिस्तान प्रभावशाली नहीं है!”
- “जुकरबर्ग को सलमान रुश्दी से बात करनी चाहिए!”
- “पाकिस्तान को ब्रिटेन ने बनाया था और अमेरिका से उसे मदद मिलती है!”
Meta का नया कदम : Fact-Checking को बदला ‘Community Notes’ से 📑
7 जनवरी को, Meta ने यह घोषणा की थी कि वह Facebook और Instagram पर Fact-Checking सिस्टम को खत्म कर रहा है। इसके बदले में Community Notes मॉडल को लाया गया, जो Elon Musk ke X (formerly Twitter) से मिलता-जुलता है। जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि Meta की Fact-Checking प्रक्रिया में कई गलतियाँ और censorship (सेंसरशिप) थी, और यह politically biased (राजनीतिक रूप से पक्षपाती) था।
Takeaways : Mark Zuckerberg की कहानी से हमें क्या सीखना चाहिए? 🤔
Mark Zuckerberg की यह कहानी हमें यह समझाती है कि social media (सोशल मीडिया) प्लेटफॉर्म्स को चलाना सिर्फ कंटेंट को नियंत्रित करने का काम नहीं है। इन्हें अपने global responsibilities (वैश्विक जिम्मेदारियों) को भी समझना पड़ता है। Free speech और local laws के बीच संतुलन बनाकर ही टेक कंपनियाँ अपने व्यवसाय को सही तरीके से चला सकती हैं।
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Disclaimer:
इस लेख का उद्देश्य केवल Mark Zuckerberg की व्यक्तिगत अनुभव और पाकिस्तान में हुई कानूनी विवाद की जानकारी प्रदान करना है। यह लेख किसी भी धर्म, संस्कृति या समुदाय के खिलाफ नहीं है। हम सभी देशों के संवैधानिक अधिकारों और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं। इस कहानी में उल्लिखित घटनाएँ केवल व्यक्तिगत अनुभव हैं, और हम सभी पाठकों से अनुरोध करते हैं कि वे इसे खुले दिमाग से पढ़ें और किसी भी रूप में विवाद न करें। सभी विचार और प्रतिक्रियाएं व्यक्तिगत हैं और उनका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। 🙏