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भारत जल्द ही अपनी नौसेना के लिए 26 Rafale M फाइटर जेट्स खरीदने की डील फाइनल करने जा रहा है। यह कदम भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक अहम बदलाव लाने वाला है। यह विमानों का सौदा Defence Acquisition Council (DAC) ने पिछले साल ही मंजूरी दी थी, और अब इस पर अंतिम मुहर लगने वाली है। यदि यह डील पूरी होती है, तो भारतीय नौसेना को जल्द ही ये अत्याधुनिक विमानों का हिस्सा मिलेगा। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि राफेल M के क्या फायदे हैं और यह भारतीय नौसेना के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।

राफेल M: एक खासियत से लैस लड़ाकू विमान 🌟

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Credit: toiimg

Dassault Aviation द्वारा निर्मित Rafale fighter jets की लंबी और शानदार परंपरा रही है, और अब इनका Marine version (Rafale M) भारतीय नौसेना में तैनात होने जा रहा है। भारतीय वायुसेना पहले ही 36 Rafale fighter jets का उपयोग कर रही है, और इसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए नौसेना के लिए भी राफेल M को चुना गया है। इसके चयन के पीछे मुख्य कारण यह है कि भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों में समान ट्रेनिंग और मेंटेनेंस प्रक्रियाओं का फायदा उठाया जा सके।

Rafale M को Naval Operations के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है। इसे Aircraft carriers पर ऑपरेट करने के लिए तैयार किया गया है। ये जेट्स बेहद कड़े और चुनौतीपूर्ण वातावरण में काम करने के लिए सक्षम हैं। जब यह विमान INS Vikramaditya और INS Vikrant जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर लैंड करेंगे, तो उनकी landing gear और harness system को खासतौर पर मजबूत बनाया गया है।

क्या फर्क है Rafale M और Airforce वाले Rafale में? 🤔

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Credit; amazon

Rafale M और वायुसेना के Rafale के बीच कुछ खास फर्क हैं, जिनके कारण Rafale M नौसेना के ऑपरेशन में ज्यादा सक्षम है:

  • Landing Gear Strength: Rafale M में एयरक्राफ्ट कैरियर पर लैंडिंग के लिए विशेष shock absorbers और jump strut technology का इस्तेमाल किया गया है।
  • Carrier Operations: Rafale M को एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर hook landing के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एक मजबूत tailhook होता है जो हवा में उड़ते हुए विमान को बहुत जल्दी रोक सकता है।
  • Mission Capabilities: हालांकि वायुसेना और नौसेना के विमानों की mission capabilities लगभग समान हैं, लेकिन Rafale M को Naval operations के लिए खासतौर पर उपयुक्त बनाया गया है।

यहां तक कि अगर भारत भविष्य में CATOBAR (Catapult Assisted Take-Off But Arrested Recovery) एयरक्राफ्ट कैरियर्स बनाता है, तो Rafale M पर CATOBAR system का उपयोग भी किया जा सकेगा।

नौसेना के लिए Rafale M क्यों है जरूरी? 🚢

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भारतीय नौसेना के पास अब दो operational aircraft carriers हैं – INS Vikramaditya और INS Vikrant। दोनों ही एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर MiG-29K विमानों का उपयोग किया जाता है, लेकिन इनकी संख्या सीमित है और इन्हें अपग्रेड भी करने की जरूरत है। इसके अलावा, कुछ विमानों की उम्र भी पूरी हो रही है और वो अगले दशक में रिटायर हो सकते हैं।

इसलिए, एक नई पीढ़ी के deck-based fighter aircraft की आवश्यकता महसूस हो रही थी, जिसे पूरा करने के लिए राफेल M को चुना गया है। राफेल M की मदद से नौसेना को ताकतवर, तेज़, और ज्यादा multi-role capable विमानों की जरूरत पूरी हो सकेगी।

Rafale M की विशेषताएँ और सामर्थ्य 🏆

Rafale M को multi-role fighter aircraft के रूप में डिज़ाइन किया गया है, यानी इसे air-to-air missiles, air-to-surface weapons, cruise missiles सहित विभिन्न आधुनिक हथियारों से लैस किया गया है। इसके अलावा, यह anti-ship missiles और maritime radar जैसी विशेष प्रणालियों को भी ले जा सकता है।

  • Advanced Weapons Systems: Rafale M के पास बहुत ही advanced weapon systems हैं जो हवा से सतह और समुद्र पर भी निशाना साध सकते हैं।
  • Long Range: इसमें लंबी दूरी तक precision strikes करने की क्षमता है।
  • Modern Radar: इसमें active electronically scanned array (AESA) radar और आधुनिक sensors भी लगे हैं, जो इसे target acquisition और tracking में बेहद सक्षम बनाते हैं।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व 🚀

यह डील भारतीय नौसेना के लिए एक अहम कदम है, क्योंकि:

  • Operational Capability: INS Vikrant और INS Vikramaditya पर Rafale M के ऑपरेशन से भारत की naval dominance को और अधिक मजबूती मिलेगी।
  • Cost-Effective Training: पहले से वायुसेना में मौजूद Rafale fighter jets के साथ समान तकनीकी सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे training costs में भी कमी आएगी।
  • Weapon Synergy: वायुसेना और नौसेना दोनों के पास common weapons systems होंगे, जिससे दोनों सेनाओं के बीच weapon synergy को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष 🏁

भारत की रक्षा योजना में Rafale M का प्रवेश भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे भारतीय नौसेना को ताकतवर, advanced technology से लैस लड़ाकू विमान मिलेंगे, जो global threats के मुकाबले उसे एक मजबूत स्थिति में रखेंगे। यह डील भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करेगी और भविष्य में naval power को और बढ़ावा देगी।

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Disclaimer:

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सूचना के उद्देश्यों के लिए है। लेख में उल्लिखित विमानों, डील्स, और तकनीकी विवरणों का स्रोत उपलब्ध समाचार रिपोर्ट्स और आधिकारिक घोषणाओं पर आधारित है। हालांकि, यह लेख किसी भी प्रकार से अधिकारिक स्रोत या भारतीय रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। इस लेख में उल्लिखित डील, विमानों और संबंधित जानकारी में परिवर्तन हो सकता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी खरीदारी, निवेश या निर्णय लेने से पहले उचित और प्रमाणित स्रोतों से पुष्टि करें। इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं।

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