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काठमांडू में गूंजे राजशाही के समर्थन में उग्र प्रदर्शन: एक सप्ताह का अल्टीमेटम, क्या लौटेगा राजा?🔥👑

हिंसक प्रदर्शन में काठमांडू के तिनकुने में आगजनी और पत्थरबाजी

नेपाल में राजशाही के पुनर्स्थापन की मांग को लेकर शुक्रवार को काठमांडू में हिंसक प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारी राजधानी के तिनकुने इलाके में एक इमारत में तोड़फोड़ करने के बाद उसे आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके, जिससे जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस संघर्ष में एक युवक के घायल होने की भी खबर है। 😷🔥

प्रदर्शनकारियों का एक सप्ताह का अल्टीमेटम

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Credit: tv9hindi

इस विरोध प्रदर्शन में 40 से अधिक नेपाली संगठन शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने “राजा आओ, देश बचाओ”, “भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद” और “हमें राजशाही चाहिए” जैसे नारे लगाए। उनका कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों पर एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई नहीं करती, तो वे और ज्यादा उग्र प्रदर्शन करेंगे। 🕰️💥

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र का समर्थन और विवादित इतिहास

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस के मौके पर लोगों से समर्थन की अपील की थी। इसके बाद से ही देश में ‘राजा लाओ, देश बचाओ’ आंदोलन जोर पकड़ने लगा। हालांकि, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर 2001 के नारायणहिति हत्याकांड में अपने परिवार के सदस्यों की हत्या का आरोप भी है। इस घटना में नेपाल के राजा वीरेंद्र, रानी ऐश्वर्या सहित शाही परिवार के 9 सदस्य मारे गए थे। 🏰💔

आधिकारिक तौर पर इस हत्याकांड के लिए युवराज दीपेंद्र को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन कई लोग मानते हैं कि ज्ञानेंद्र ने सत्ता हासिल करने के लिए यह षड्यंत्र रचा था, क्योंकि उस रात वे महल में मौजूद नहीं थे और उनका परिवार सुरक्षित था। इस रहस्यमयी हत्याकांड के कारण उनकी छवि विवादों में घिरी हुई है। 🔍⚖️

आंदोलन का नेतृत्व: नवराज सुवेदी

Credit: nagariknewscdn

इस आंदोलन का नेतृत्व 87 वर्षीय नवराज सुवेदी कर रहे हैं, जो राजशाही की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सुवेदी का कहना है कि उनका आंदोलन शांति से चल रहा है, लेकिन अगर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली तो प्रदर्शन और उग्र हो सकता है। उनका यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती। 🏞️📢

नेपाल में राजशाही के खिलाफ विद्रोह और राजनीतिक असंतोष

नेपाल में 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था। कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को सत्ता छोड़नी पड़ी और सभी ताकत संसद को सौंपनी पड़ी। आज भी नेपाल की जनता भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सत्ता के बार-बार परिवर्तन से परेशान है, और इस कारण राजशाही की वापसी की मांग और भी मजबूत हो रही है। 🇳🇵🔄

2001 का नरसंहार: नेपाल के शाही परिवार की त्रासदी

1 जून, 2001 को नेपाल के नारायणहिति पैलेस में हुए शाही परिवार के नरसंहार को कोई भी नहीं भूल सकता। उस दिन की घटनाओं ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। राजकुमार दीपेंद्र ने नशे की हालत में अपने परिवार के 12 सदस्यो को गोलियों से छलनी कर दिया था। यह घटना एक पार्टी के दौरान घटी, जब दीपेंद्र ने अचानक अपनी बंदूकें निकाल कर अपने पिता, माता और अन्य परिवारजनों को मौत के घाट उतार दिया। 💣😱

यह हत्याकांड एक रहस्य बना हुआ है, क्योंकि घटना के समय दीपेंद्र नशे में था और इसके बाद खुद को भी गोली मार ली। हालांकि, दीपेंद्र और उनके पिता राजा वीरेंद्र दोनों अस्पताल पहुंचने के बाद मृत घोषित कर दिए गए। 🏥💔

नेपाल के राजशाही के इतिहास की विवादास्पद कहानी

दीपेंद्र की हत्याकांड की कहानी आज भी विवादों में घिरी हुई है। हालांकि, इसे आधिकारिक रूप से एक अकेले व्यक्ति की गलती मानकर खत्म कर दिया गया, लेकिन देश के कई लोग यह मानते हैं कि नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने इस हत्या का षड्यंत्र रचा था, ताकि वे सत्ता हासिल कर सकें। 🎭👑

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क्या नेपाल में राजशाही की वापसी होगी?

राजशाही की वापसी की मांग से जुड़े प्रदर्शन और आंदोलन अभी भी जारी हैं। नवराज सुवेदी का कहना है कि इस आंदोलन का उद्देश्य नेपाल में राजशाही को पुनर्स्थापित करना है। हालांकि, इस आंदोलन को लेकर नेपाल के प्रमुख राजवादी दलों के बीच असंतोष भी है, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। ⏳⚖️

निष्कर्ष: नेपाल में राजशाही की वापसी का सवाल 🏰🇳🇵

नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। काठमांडू में हुए हिंसक प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों ने सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो विरोध और उग्र होगा। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की छवि विवादों से घिरी हुई है, खासकर 2001 के नारायणहिति हत्याकांड के कारण। नवराज सुवेदी के नेतृत्व में यह आंदोलन शांति से चलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अगर सकारात्मक परिणाम नहीं मिला, तो यह और तेज हो सकता है। नेपाल का भविष्य इस आंदोलन पर निर्भर करेगा।

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अस्वीकरण:

यह लेख केवल सूचना देने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं। हम किसी भी प्रकार की हिंसा, प्रदर्शन या विवाद को बढ़ावा नहीं देते हैं। नेपाल की राजनीतिक स्थिति जटिल और संवेदनशील है, और हमें सभी विचारों और दृष्टिकोणों का सम्मान करना चाहिए। इस लेख का उद्देश्य केवल घटनाओं को समझने और समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करना है, न कि किसी पक्ष या आंदोलन का समर्थन करना। ✨

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