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Toggleप्रयागराज महाकुंभ 2025 : भगदड़ की त्रासदी, क्या हुआ कल रात? जानें क्यों कुम्भ मेला बनता है हादसों का गढ़!
Maha Kumbh 2025 Accident: प्रयागराज महाकुंभ में कल रात मची भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 28 जनवरी की रात को, जब लाखों श्रद्धालु मौनी अमावस्या पर पवित्र स्नान के लिए संगम की ओर बढ़ रहे थे, तब अचानक भीड़ में अफरातफरी मच गई। इस भगदड़ में 17 लोगों की मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना कुम्भ मेले के इतिहास में कोई नई बात नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि क्या हुआ कल रात और क्यों कुम्भ मेला हमेशा हादसों का शिकार हो जाता है।
रातोंरात क्या हुआ? जानें कल रात की त्रासदी की पूरी कहानी! 🌙🚶♀️🚶♂️

Mouni Amavasya पर स्नान करने के लिए संगम की ओर बढ़ते श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी बढ़ गई थी कि बैरिकेड्स के पास सोए हुए लोगों के पैरों में फंसकर लोग गिर गए। इसके बाद स्थिति पूरी तरह से नियंत्रित से बाहर हो गई और भगदड़ मच गई। रात्रि लगभग 1 बजे के आसपास जब लोग घाट की ओर बढ़ रहे थे, तो पीछे से आ रही भीड़ ने आगे वाले लोगों को कुचलते हुए अपने रास्ते से निकालने की कोशिश की। यही स्थिति इतनी विकट हो गई कि लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे, जिससे कई लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
इस घटना ने एक बार फिर कुम्भ मेले की भीड़ और सुरक्षा की कमी को उजागर किया।
क्या पहले भी हुआ था ऐसा? कुम्भ मेला हादसों का गढ़ क्यों बन गया है? 🔍🕊️

यह पहली बार नहीं है जब कुम्भ मेला हादसों का शिकार हुआ हो। यहाँ पर भव्य धार्मिक उत्सवों के बीच कई हादसे घटित हो चुके हैं। चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में:
1954 का कुम्भ हादसा (भारत के पहले स्वतंत्र कुंभ का हादसा) :
आज़ादी के बाद जब पहली बार कुम्भ मेला आयोजित हुआ था, तब 800 से ज्यादा लोग एक भगदड़ में मारे गए थे। यह कुम्भ मेला इतिहास का सबसे बड़ा हादसा था, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।
1986 का हरिद्वार कुम्भ हादसा :
हरिद्वार में आयोजित कुम्भ मेला में भीषण भगदड़ मचने से लगभग 200 लोग मारे गए थे। उस समय सुरक्षा उपायों में भारी कमी थी, जिससे यह हादसा घटित हुआ।
2003 का नासिक कुम्भ हादसा :
2003 में नासिक में भी कुम्भ मेला आयोजित हुआ था, जिसमें एक भगदड़ ने कई लोगों की जान ले ली थी।
2013 का प्रयागराज हादसा :
प्रयागराज में हुए महाकुंभ के दौरान भी इसी तरह की भगदड़ मच गई थी, जिससे 42 लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हो गए थे।
2025 के कुम्भ मेला हादसे ने क्यों किया हर किसी को हैरान? 🤯

2025 के कुम्भ में हादसा और भी गंभीर था क्योंकि यह महाकुंभ था, जो 144 वर्षों के बाद हो रहा था। इस बार भीड़ पहले से कहीं अधिक थी। Mouni Amavasya जैसे प्रमुख स्नान के दिन संगम की तरफ जाने वाले लाखों लोग एक ही समय पर पहुंचे थे। इस दौरान बैरिकेडिंग और सही दिशा-निर्देश की कमी के कारण यह हादसा हुआ।
यही नहीं, तस्वीरों ने और भी हृदयविदारक स्थिति को उजागर किया। जब लोग गिरने लगे, तो उन्हें उठाने के लिए कोई जगह नहीं थी और न ही कोई मदद पहुँचने में सक्षम था।
अब क्या करें श्रद्धालु? सुरक्षित यात्रा के टिप्स 🚶♂️🛑
शाही स्नान के दिनों से बचें :
अगर आप भी कुम्भ मेला में शामिल होने जा रहे हैं तो शाही स्नान के दो दिन पहले और दो दिन बाद यात्रा करने से बचें। इस समय भीड़ बहुत अधिक होती है और यातायात व्यवस्था भी चरम पर होती है।
संगम नोज पर स्नान से बचें :
संगम नोज पर स्नान करने की जिद न करें। वहां की भीड़ इतनी होती है कि आपकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
सुरक्षा उपायों का पालन करें :
हमेशा सुरक्षा के निर्देशों का पालन करें, जैसे कि बैरिकेड्स से बचना और आदेशों का अनुसरण करना।
छोटे घाटों का चयन करें :
अगर आप अधिक भीड़ से बचना चाहते हैं तो संगम के अन्य घाटों पर स्नान करें, जहाँ भीड़ कम हो।
सही समय पर यात्रा करें :
कुम्भ मेला के दौरान यदि आपको दर्शन की आवश्यकता हो, तो कोशिश करें कि सामान्य दिनों में यात्रा करें। इस दौरान दर्शन के लिए आपको लंबी कतारों में नहीं खड़ा होना पड़ेगा।
कुम्भ मेले के दौरान सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता 🛡️
कुम्भ मेला एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि सुरक्षा की सभी व्यवस्थाओं को बेहतर किया जाए। इसके लिए प्रशासन को और अधिक पुलिस बल, बैरिकेड्स, निगरानी कैमरे और ट्रैफिक कंट्रोल जैसी सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए।
साथ ही, श्रद्धालुओं को भीड़ से बचने के लिए अधिक जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें समय-समय पर सुरक्षात्मक कदम उठाने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए।
समापन : सुरक्षा, संयम और सावधानी के साथ कुम्भ मेला में शामिल हो! 🙏🕊️
कुम्भ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है, जो आस्था और धार्मिकता का प्रतीक है। लेकिन भीड़ और दुर्घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम जरूरी हैं। यात्रियों को कुम्भ में जाने से पहले सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए, ताकि इस धार्मिक पर्व को शांति और सद्भाव के साथ मनाया जा सके।
डिस्क्लेमर :
इस लेख में दी गई जानकारी प्रयागराज महाकुंभ 2025 में हुई घटना पर आधारित है। हम किसी भी व्यक्ति या घटना के बारे में गलत या अव्यक्त जानकारी देने का उद्देश्य नहीं रखते हैं। यह लेख केवल समाचार और घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए है। कृपया ध्यान रखें कि कुम्भ मेला में शामिल होने से पहले सभी सुरक्षा उपायों का पालन करें और प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का ध्यान रखें। हम किसी भी व्यक्तिगत क्षति या दुर्घटना के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
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