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उत्तर प्रदेश में शराब दुकानों के लाइसेंस के लिए मचा हंगामा | आवेदन शुल्क जानकर होश उड़ जाएंगे! 🍻💰

नई आबकारी नीति 2025-26: शराब दुकानों के लिए ई-लॉटरी सिस्टम!

उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। अब प्रदेश में शराब और भांग की दुकानों के लाइसेंस ई-लॉटरी सिस्टम के जरिए आवंटित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया, जिससे पहले के लाइसेंस रिन्यूअल सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। हालांकि, पुराने लाइसेंस धारकों को अगले वर्ष (2026-27) में रिन्यूअल की सुविधा मिल सकती है।

इस बदलाव के बाद, शराब और भांग की दुकानों के लाइसेंस पाने के लिए दुकानदारों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जो अब एक बड़ा चुनौतीपूर्ण और महंगा प्रक्रिया बन चुका है। 💸

आवेदन शुल्क का बंटवारा: इन शहरों में ज्यादा और इन जगहों पर कम शुल्क

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Credit: livemint

नई नीति के तहत, लाइसेंस के लिए शुल्क को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है। आइए, जानते हैं कि किस इलाके में कितना शुल्क देना होगा:

बड़े शहरों में फीस ज्यादा

    • गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर:
      • देशी शराब की दुकान: ₹65,000
      • मिश्रित दुकान: ₹90,000
      • मॉडल दुकान: ₹1,00,000
      • भांग की दुकान: ₹25,000

अन्य बड़े शहरों में

    • देशी शराब की दुकान: ₹60,000
    • मिश्रित दुकान: ₹85,000
    • मॉडल दुकान: ₹90,000
    • भांग की दुकान: ₹25,000

नगर पालिका क्षेत्र

    • देशी शराब की दुकान: ₹50,000
    • मिश्रित दुकान: ₹75,000
    • मॉडल दुकान: ₹80,000
    • भांग की दुकान: ₹25,000

नगर पंचायत क्षेत्र

    • देशी शराब की दुकान: ₹45,000
    • मिश्रित दुकान: ₹65,000
    • मॉडल दुकान: ₹70,000
    • भांग की दुकान: ₹25,000

यह शुल्क राज्य के विभिन्न हिस्सों में आवेदन प्रक्रिया को कठिन बना रहे हैं, खासकर उन व्यापारियों के लिए जो महंगे क्षेत्र में दुकान खोलने का मन बना रहे हैं। 💵

यह भी पढ़ें : अब यूपी में शराब की दुकान खोलना हुआ और भी आसान! जानिए पूरी प्रक्रिया और शर्तें 🏪🍻

आबकारी नीति में नई बातें: अब एक व्यक्ति नहीं रख सकता एक से ज्यादा लाइसेंस

Credit: timesnowhindi

नई नीति के तहत, अब कोई व्यक्ति या संस्था दो से अधिक शराब दुकानों का लाइसेंस नहीं ले सकती है। इसके अलावा, प्रीमियम ब्रांड की शराब दुकानों को मॉल या मल्टीप्लेक्स में खोलने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, एयरपोर्ट, मेट्रो और रेलवे स्टेशनों पर इन्हें खोला जा सकता है, बशर्ते संबंधित प्राधिकरण से NOC (No Objection Certificate) प्राप्त हो। 🛫

सरकार का ₹55,000 करोड़ का राजस्व लक्ष्य

उत्तर प्रदेश सरकार ने आबकारी विभाग से इस वित्तीय वर्ष में ₹55,000 करोड़ का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले ₹4,000 करोड़ अधिक है। इससे संकेत मिलता है कि सरकार शराब के कारोबार से आय बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। 📊

नई व्यवस्था: मिश्रित दुकानें और होम लाइसेंस

इस बार, राज्य में “मिश्रित दुकानें” शुरू की जा रही हैं, जहां एक ही काउंटर से बीयर, विदेशी शराब, और देशी शराब बेची जा सकेगी। हालांकि, इन दुकानों पर शराब पीने की अनुमति नहीं होगी। पहले बीयर की अलग दुकानों का प्रचलन था, अब इसे विदेशी शराब के साथ जोड़ा जाएगा। 🍺

इसके अलावा, होम लाइसेंस की प्रक्रिया भी सरल की गई है, जिससे व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए अधिक शराब खरीद, परिवहन और स्टोर कर सकता है। इसके लिए ₹11,000 सालाना शुल्क और ₹11,000 का सुरक्षा जमा देना होगा। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आयकर रिटर्न की आवश्यकता होगी, जिसमें से कम से कम दो वर्षों में 20% टैक्स स्लैब में आय होनी चाहिए। 🏠🍷

निष्कर्ष: व्यापारियों के लिए नई चुनौतियां और अवसर

उत्तर प्रदेश में शराब दुकानों के लाइसेंस को लेकर यह नई नीति व्यापारियों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। जहां एक ओर आवेदन शुल्क बढ़ने से व्यापारी चिंतित हैं, वहीं दूसरी ओर ई-लॉटरी सिस्टम ने पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है। अब यह देखना होगा कि व्यापारियों के लिए यह बदलाव किस तरह से लाभकारी साबित होता है। 🔑

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अस्वीकरण:

यह लेख केवल जानकारी और प्रेरणा देने के उद्देश्य से है। हमने जो विवरण साझा किया है, वह वर्तमान सरकारी नीति पर आधारित है और समय के साथ बदल सकता है। कृपया किसी भी व्यावसायिक निर्णय से पहले संबंधित अधिकारियों से सलाह लें। हम किसी भी वित्तीय या कानूनी परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

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